भरलाय की जानकारी
भरलाय गांव में बहुत पुराना कुआ है जिसे बड़ा कुआं के नाम से जाना जाता है,
जो गांव वालो को बना हुआ मिला था जो पत्थरों से बना हुआ है, कुआँ काफी बड़ा है चकोर (आयताकार) बना हुआ है|
प्राचीन
समय में इसी कुए के पानी का प्रयोग गांव के लोग करते थे|
राम मंदिर काफी पुराना मंदिर है, इस मंदिर की स्थापना 1955 में हुई थी, यह मंदिर को नयापन 2007 में मिला|
इस मंदिर में काफी लोगो ने दान किया हुआ है (जैसे : भूमि / धन राशि)|मंदिर की जमीन हर साल खोट के रूप में धनराशि
प्राप्त होती है जो मंदिर के निर्माण/विकास में सहायता प्रदान करती है|
राम मंदिर बहुत सुंदर और आकर्षक मंदिर है, राम मंदिर सुविधायुक्त मंदिर है, यहाँ पर कोई भी कार्यक्रम के लिए
काफी जगह मिल जाती है, जैसे: शादी – सगाई कार्यक्रम, रसोई या कोई कार्यक्रम भी करवा सकते है आपको मदिर से
ही बर्तन आदि की सुविधा भी प्रदान की जाती है|
दुर्गा मंदिर भी काफी पुराना मंदिर है, यह मंदिर बहुत ही आकर्षक है इसमें भी धीरे धीरे नवीनीकरण किया जा रहा है|
जो माँ दुर्गा का मंदिर (माता माई) है, यहाँ पर शादी के समय मातापूजन यही से किया जाता है|
तालाब भरलाय की एक बहुत बड़ी पहचान है, क्युकी यह काफी बड़ा क्षेत्र है बरसात के समय का पानी इसमें इकट्ठा होता है,
रक्षाबंधन के समय पर यही भुजरे लुटाने का कार्य एक दुसरे को भुजरे देने का कार्य सुरु करते है गणेश जी का विसर्जन भी यही
करते है, तालाब का पानी सूखने पर लड़के लोग क्रिकेट के लिए ग्राउंड बनाते है और क्रिकेट खेलते है|
हनुमान मंदिर जी की मूर्ति तालाब की बहुत पहले खुदाई के टाइम पर मिली थी, तब से हनुमान जी को/ इस मंदिर को बहुत
मानते है,
मंदिर को भी धीरे धीरे सुधार कार्य किया जा रहा है, मंदिर को उसके परिसर को आकर्षक बनाया जा रहा| हनुमान मंदिर के पास
हनुमान वाटिका बनाई गई है, जिसमे पेड़ पौधे लगाये गए है|
खंडेरा बाबा के यहाँ, लकड़ी के दो बड़े बड़े स्तम्भ है जिन्हें हर साल होली के टाइम पर सिंदूरी कलर से रंगा जाता है|
गांव की एक पुरानी परंपरा है, जो दो स्तम्भ (नर नारी) है इनके उपर से एक आड़ी लकड़ी सेण्टर अक्ष से रखकर रस्सी की मदद से
दो
लोग स्तम्भ के घेरे में घूमते है, इस द्रश्य को देखने के लिए बहुत अधिक संख्या में दर्शक होते है यह कार्यक्रम हर साल
होली के दिन होता है, उसी दिन हमारे गांव में मेला भी लगता है|
गणेश जी के टाइम पर हमारे गांव में रामनवमी के दिन गांव के विमान निकलते है, उस दिन सारे गणेश मंडल के भक्त/मंडल
वाले अपने अपने गणेश जी के मंडप को अच्छी तरह से सजाते है कुछ अपनी कला प्रदर्शन से कुछ नया या आकर्षक कार्य भी करते है|
कुछ जगह विशेष प्रसादी भी रखते है उस दिन गांव के सारे लोग एक बार गांव का जरुर भ्रमण करते है, सभी लोग : छोटे-बड़े,
लड़के-लड़की, आदमी-और सारे लोग उस दिन गांव में सबसे ज्यादा चहल पहल होती है, जो काफी उत्साहित दिन रहता है, सभी ग्रामवासी
के लिए|
दुर्गा चौक गांव के अन्दर आने पर पड़ने वाला सबसे पहला और बड़ा चौक है, यहां पर भगवा ध्वज है,
यहाँ पर नवरात्रि में माँ दुर्गा का कार्यक्रम करवाया जाता है, गांव में एक ही जगह दुर्गाजी (देवी जी) बैठती है जो की
सभी के लिए अच्छी बात रहती है ताकि पूरे गांव वाले एक ही जगह पर मिल जाये, जिससे गांव में एकता बनी रहती है|
भरलाय बस स्टैंड : बस स्टैंड पर आपको बस की सवारी मिल जाती है जो इन मार्ग में दुरी तय करती है (हरदा, खंडवा,
इंदौर) और (होशंगाबाद, इटारसी, भोपाल)
भरलाय बस स्टैंड पर आपको चाय-नाश्ते के लिए होटल, मोटर साइकिल रिपेयर (गेराज वेल्डिंग वर्कशॉप, मंदिर, मेडिकल, हेअर
सलून, ...आदि सुविधा मिल जाती है)|
स्कूल : भरलाय में प्राथमिक स्कूल = पहली से पांचवी तक, माध्यमिक स्कूल = छठवी से आठवी तक और नवीन हाई स्कूल =
नौवी-दशवी तक है, यहाँ भरलाय के साथ साथ आस पास के गांव के विद्यार्थी भी पढने आते|
"बस स्टैंड वाला सरकारी स्कूल जो बना है, उसके लिए श्री अनोखी पटेल जी ने भूमि को दान किया था"
गांव में प्राइवेट स्कूल भी जिसका नाम St. Charles Convet School है, जिसमे नर्सरी से आठवी तक की क्लास है|
गांव में एक और प्राइवेट स्कूल सरस्वती शिशु मंदिर भी है|
भरलाय गांव में : आपको किराना शॉप, वेल्डिंग शॉप, चाय-नाश्ता होटल, मेडिकल, मंदिर (दुर्गाजी, हनुमानजी,
शंकरजी, गणेशजी, राम भगवान आदि) वेयरहाउस, बाइक गैरेज, स्कूल, तालाब, प्राचीन धरोहर (बड़ा कुआं, खंडेरा बाबा) मिल जाती है
देखने
को|
भरलाय गांव की एक बहुत बड़ी परंपरा है जो भूतपूर्व समय से चलती आ रही है, जो गांव की एकता को दर्शाती है|
“अगर भरलाय में कही आग/फसल में लग जाती है, जो भरलाय गांव के पास है या कही भरलाय के (गांव के) किसी भी किसान
की
हो कही भी हो अगर भरलाय वालो को पता चल जाता है,
तो मंदिर में जोर जोर से घंटी बजाते है| जिससे मंदिर में घंटी की आवाज से सभी को पता चल जाता है,
की गांव के पास में कही आग लगी/गांव के किसी किसान के खेत या उसके आस पास तब सारा गांव जितने भी जा सके
सभी आग बुझाने के लिए चले जाते है, जो गांव की एकता को दर्शाती है|
"हमें गर्व है हम भरलाय ग्रामवासी है"